पोलीथीन का असली चेहरा,सरकार उदासीन,पोलीथीन प्रदूषण ले सकता है विकराल रूप,समय रहते सुधार जरूरी


       बरवाडा में पोलीथीन का प्रभाव


 चौथ का बरवाड़ा कस्बे में पिछले कई महीनों से लगातार पॉलिथीन का उपयोग हो रहा है और बीच-बीच में प्रशासन द्वारा चलाए गए अभियान के बावजूद इस पर पूरी तरह से रोक लगाना संभव नहीं हो सका है।

 पॉलिथीन के उपयोग से जहां एक ओर चौथ का बरवाड़ा के अंदर व बाहर सभी तरफ गंदगी फैल रही है वहीं दूसरी ओर पॉलिथीन से होने वाले प्रदूषण से आम लोगों में अभी भी जागरूकता नहीं बन पाई है।

 जिसके चलते ना तो दुकानदार और ना ही आम व्यक्ति किसी भी सूरत में पॉलीथिन को त्यागने को तैयार ही नहीं है।

पॉलिथीन से होने वाले दुष्प्रभाव इतने अधिक हैं कि यदि समय रहते हैं पॉलिथीन का उपयोग बंद नहीं किया गया तो यह चौथ का बरवाड़ा व आसपास के इलाके को पूरी तरह प्रदूषण युक्त कर देगा।

 इसके चलते प्रकृति की गोद में बसा बरवाड़ा प्रदूषण नगरी बन जायेगा।







            
  
        पोलीथीन के दुष्प्रभाव

 पॉलिथीन में जिस प्रकार का प्लास्टिक इस्तेमाल किया जाता है वह किसी भी सूरत में जैविक प्रक्रिया द्वारा नष्ट नहीं किया जा सकता है ।

 अर्थात पॉलिथीन एक बार बनने के बाद कभी भी नष्ट नहीं होती है।
 यदि पॉलिथीन की थैलियों को जमीन में गाड़ दिया जाए, पानी में डाल दिया जाए, यहां तक कि जलाने पर भी निकलने वाली हानिकारक गैसें वायुमंडल में बनी रहती है और लगातार अपना प्रदूषण फैलाती रहते हैं।

 पॉलिथीन की थैलियों को घरों के बाहर फेंकने से कई बार नालियां अवरुद्ध हो जाती है और पानी का बहाव रुक जाता है।

 रुके पानी में कई प्रकार के रोग कारक सूक्ष्मजीव और अन्य कई प्रकार के कीट पनपने लगते हैं जिससे बीमारियों का खतरा पैदा हो जाता है ।

 जानवरों द्वारा खाने पर करती है नुकसान


 कचरे में मौजूद पॉलिथीन की थैलियां कई बार जानवरों द्वारा ली जाती है।
 जिससे यह उन की आहार नाल में फंस जाती है और जानवर की मृत्यु का कारण बनती है ।

 पोलीथीन को जलाने पर उनसे कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड,डाई आक्सींस जैसी कई प्रकार की विषैली गैसें निकलती हैं। जो कई प्रकार से मानव शरीर को व पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है ।

 
 



       अत्यधिक उपयोग से फैल रही बीमारियां


 वर्तमान में लोगों में होने वाली त्वचा संबंधी कई प्रकार की बीमारियों का एक प्रमुख कारण पॉलीथिन का उपयोग है।

 कई बार कचरे के निस्तारण के चलते पॉलिथीन की थैलियों को जला दिया जाता है व्यापक पैमाने पर जलने पर वायुमंडल में पहुंचकर पॉलिथीन की थैलियां वायुमंडल को बहुत अधिक प्रदूषित कर देती है।

 उनके कारण मनुष्य को त्वचा संबंधी,श्वास संबंधी व आंखों से संबंधित कई प्रकार की बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है ।


 नहीं किया जा सकता निम्नीकरण


पॉलिथीन पूरी तरह से अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ है और इसे जैविक प्रक्रियाओं द्वारा नष्ट नहीं कर सकते हैं।

 इसलिए यह मनुष्य के साथ साथ पशु पक्षियों के लिए भी बहुत ही घातक होता है।
लगातार पॉलिथीन जैसे प्लास्टिक के संपर्क में रहने से खून में थेलेट्स की मात्रा बढ़ जाती है । इससे गर्भवती महिलाओं के शिशु का विकास रुक जाता है और प्रजनन अंगों को भी नुकसान पहुंचता है ।

 पोलीथीन में जो रसायन पाया जाता है वह शरीर में मधुमेह और लीवर एंजाइमों को क्षतिग्रस्त कर नुकसान पहुंचाता है।

ल़ोगों में कचरा निस्तारण के प्रति पूरी तरह से जागरूकता नहीं होने से कई बार कचरा घरों के बाहर ही फेंक दिया जाता है इसके दूरगामी परिणाम बड़े खतरनाक सिद्ध हो सकते हैं।


 




पुनःचक्रण योग्य प्लास्टिक का हो सकता है उपयोग


 पॉलिथीन के स्थान पर अन्य कई प्रकार के प्लास्टिक आते हैं जो रीसाइक्लिंग होते हैं।

पोलीथीन के स्थान पर उनका उपयोग किया जा सकता है। उनसे कचरा भी कम होगा और प्रकृति को नुकसान भी नहीं होगा।

 चौथ माता का विशाल मंदिर होने के कारण की यहाँ श्रद्धालुओं की आवाजाही बहुत अधिक रहती है जिसके चलते पॉलिथीन संबंधी कचरा और भी बढ़ जाता है ।

 यदि पॉलिथीन पर पाबंदी नहीं लगाई गई तो पोलीथीन की वजह से चौथ का बरवाड़ा गांव का व चौथमाता सरोवर के आसपास का पूरा इलाका पॉलिथीन के कचरे से युक्त हो जाएगा।

यदि समय रहते इस पर नियंत्रण किया गया तो आने वाले समय में चौथ का बरवाड़ा को पुनः प्रदुषण मुक्त बनाया जा सकता है।


         सरकार व प्रशासन नहीं है गंभीर


 पिछले कई वर्षों से सरकार लगातार पॉलिथीन की पाबंदी के लिए बड़े-बड़े वायदे करती आ रही है।
लेकिन किसी भी सरकार ने आज तक पॉलिथीन के निस्तारण की समस्या को गंभीरता से नहीं लिया है ।

 सरकार और प्रशासन सदैव सामान्य दुकानदार और आम गरीब लोगों से पॉलिथीन के इस्तेमाल के लिए मना करता है

जबकि पॉलिथीन बनाने वाली बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों पर कोई भी ध्यान नहीं दिया जाता है ।

 यदि सरकार पॉलिथीन बनाने वाली फैक्ट्रियों को ही बंद कर दे या उन पर पाबंदी लगा दे तो पॉलिथीन की समस्या पूरी तरह से हल हो सकती है ।

 यह एक ऐसी समस्या है जो कि किसी एक गांव, किसी एक शहर कि ना होकर पूरे राज्य या पूरे भारत की समस्या है
जो धीरे-धीरे अपने स्वरूप को विकराल करती जा रही है और सभी धीरे-धीरे इसकी चपेट में आते जा रहे हैं।

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